Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2020 · 8 min read

अध्याय 3- *मोबाइल माँगती लड़की*(सच्ची घटना पर आधारित)

अध्याय 3- मोबाइल माँगती लड़की(सच्ची घटना पर आधारित)

ये कहानी झारखंड के धनबाद जिले के एक छोटे से शहर तोपचांची वाटर बोर्ड के आस – पास के गाँव की है। कुछ कही-अनकही बातें हैं।मगर सत्य घटना पर आधारित है। वाटर बोर्ड – जो झारखंड,बिहार का एक मात्र प्राकृतिक झील है। उसी झील का स्रोत पारसनाथ पर्वत है। जो उससे काफ़ी सटा हुआ है। उसी झील के पास एक गाँव,जिसका नाम झरियाडीह है। जैसा कि हम जानते हैं, हर गाँव का अपना नियम – कानून उस गाँव के बाहुबली लोग बनाते हैं। जिससे आम जन को काफी हद तक नुकसान होता है। कहानी के मुख्य पात्र हैं- उसी गाँव की निचली जाती में जन्मी सुगिया जो एक 19 वर्षीय लड़की है।
मँगरू जो एक 21 वर्ष का लड़का ऊँची जाती का है। इनकी कहानी इसलिए सुनी जा रही है क्योंकि इन दोनों के जीवन का अंत हो चुका है।जिसका कारण इनका समाज था। बात उन दिनों की है जब दोनों ने कक्षा दस की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।दोनों की मित्रता इसी दौरान हुई । फिर दोनों प्रेम संबंध में आए। पहले मानसिक फिर शारीरिक रूप से एक हो गए। यूँ कहें कि दो जिस्म एक जान हो गए थे। देश आजाद होने के बाद भी जो बालिग हैं उन्हें संवैधानिक अधिकार नहीं है। जब ये समस्या बड़े – बड़े शहरों में आम बात होती है तो गाँव में तो अधिकारों का कोई मतलब ही नहीं,जो पंचायत कहे या घरवाले कहें वही सही है। इसी सोच के दुष्परिणाम को सुगिया और मँगरू जैसे जोड़ों को भुगतना पड़ा। जब उनका प्यार पनपा आगे बढ़ा तो गाँव वालों को खबर हुई। घरवालों ने लड़का और लड़की को बहुत मार – पीटकर समझाया लेकिन न तो सुगिया मानी और नाहीं मँगरू। समय बीतता गया। यही घटना बार – बार होने लगी वे दोनों मार खाते,ताना सुनते पर दोनों ने जैसे एक दूसरे से विवाह करने की जिद्द बना ली थी। बात पंचायत तक पहुँची तो पंच ठहरे ऊपरी जाती के उन्होनें भी लड़की वालों को ही गलत ठहराया और लड़के से दूर रहने को कहा। लेकिन मँगरू ,सुगिया का साथ नहीं छोड़ना चाहता था।उनदोनों का गाँव के चौराहे पर मिलना, चोरी छिपे झील में जाना सभी को पता था। उन दोनों की प्रेम कहानी हर एक की जुबानी बन गई थी। कुछ लोग उन्हें वासना के पुजारी कहते तो कुछ लोग राधा – कृष्ण का स्वरुप। दिन बीतता गया , साल बढ़ता गया। उनके प्रति गाँव वालों और घरवालों का घृणा चरम पर था। जैसे उन्होंने प्रेम नहीं भारत माता के दामन पर दाग लगा दिया हो ,कोई देशद्रोही वाला काम किया हो। उनके सभी दोस्त ,साथी-सहेली सभी ने उनको खुद से अलग कर दिया।
अंत में दोनों ने खुदखुशी करने का फ़ैसला किया। उन्होंने रणनीति तैयार कर एक – दूसरे को समयानुसार उसी झील पर बुलाया क्योंकि दोनों उसी में कूदकर आत्महत्या करने वाले थे।उन्होनें दिन तय किया । क्योंकि लड़का – लड़की एक – दूसरे के होकर मरना चाहते थे। वहीं एक मंदिर में दोनों ने शादी कर जान देने की योजना बनाई थी। कुछ दिन बाद तय किए समय पर सुगिया दुल्हन के वेश में शादी के पश्चात अपनी जान देने को तैयार थी। शायद ऊपरवाले को कुछ और ही मंजूर था क्योंकि मँगरू के घरवालों ने उसे खूब मार पीट कर घर मे ही बंद कर रखा था। वो रो रहा था,तड़प रहा था कि मुझे जाने दो पर उनके भाईयों ने उसकी एक न सुनी।वो घर पर ही अधमरा हो चुका था।इससे पहले मंगरु को कई बार जहर देकर घरवालों ने मारने की कोशिस की जो नाकामयाब रहा।सुगिया डैम पर समयानुसार पहुँच चुकी थी। लेकिन मँगरू नहीं आया फिर भी सुगिया ने उसका इंतजार किया। उससे बात करने के लिए वहाँ से जो लोग गुज़रते उनसे वो मोबाइल माँगती और मँगरू को फ़ोन लगाती पर उसका फ़ोन कहाँ लगने वाला था। उसका मोबाइल तो उसके घरवालों ने ले लिया था। सुगिया शाम तक वहीं रही और मोबाइल लोगों से माँग – माँग कर मँगरू को फ़ोन करती ।जब रात हुई तो उसने सोचा होगा कि मैं घर चली जाऊँ लेकिन वो घर भी किस मुँह से जाती किसी को घर में कहाँ कुछ फर्क पड़ने वाला था। उसने उसी जँगल में रात बिताई । फिर सुबह हुई तो,जो लोग वहाँ से पार हो रहे थे उन्हें फिर मोबाइल माँग कर मँगरू को फ़ोन करने की कोशिश करती,लेकिन न मँगरू आया और नाहीं उसका फ़ोन। वो पूरी तरह से टूट चुकी थी। रो – रो कर बुरा हाल था। उसी दौरान उसके घरवाले दुसरों के कहने पर सुगिया को खोजने आए तब सुगिया जंगल में न जाने कहा छुप गई कि उसे कोई खोज न पाया। सुगिया बिना खाए – पिए दो दिन से थी अब तो उसका शरीर भी जवाब दे रहा था। फिर भी वो रास्ते में किसी अजनबी से मोबाइल माँगती और मँगरू को फ़ोन करती । लेकिन सुगिया के प्रेमी मँगरू से उसकी बात न हुई। उस रात भी वह जँगल में रही भूखे – प्यासे लेकिन उसके इस हालत पर किसी को भी तरस न आयी। जँगल में छिपे माओवादियों ने उसका बलात्कार कर उसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। उसके अगले ही सुबह सुगिया ने हिम्मत जुटा कर झील में कूदकर आत्महत्या कर ली । और वो इस ज़ालिम दुनिया को छोड़ कर चली गयी। बात यहीं खत्म नहीं हुई।अब कहानी में नया मोड़ आता है।सुगिया की मौत आग से भी तेज पूरे गाँव में फैल गई। थोड़ी देर से ही सही पर मँगरू को भी इस बात का पता चला।वो तो पहले से ही अधमरा था अब ये खबर सुनने के बाद वो पूरा मर गया। मानों जिंदा लाश बन गया हो।वो चीखने चिल्लाने लगा। अब तो घरवाले भी हार मान गए। कुछ दिन बाद जब ये सब शांत हुआ लोगों के दिमाग से खत्म हो चुका था लेकिन सुगिया ने ऐसा होने नहीं दिया। लगभग 7 दिन बाद उस रास्ते में जो भी जाते उसे सुगिया की आवाज़ सुनाई पड़ती”ओ भैया ज़रा मोबाइल दीजिए ना एक नं. पर कॉल करना है। लेकिन वहाँ कोई भी उस लड़की को नहीं देख पाता केवल उसकी आवाज़ सुनाई देती थी।इस बात की पुष्टि वहाँ के गाँव वालों ने की। साथ ही आते – जाते लोगों ने कई दफ़ा कुछ सुनी भी,कुछ लोग डरे, कुछ तो मौके पर बेहोश भी हो गए। बात यही खत्म नहीं हुई। अब सुगिया मँगरू को हु – बहु अपने आस – पास दिखाई देती ।कभी उसके सपनों में तो कभी उसको पुकारती हुई ,कि तुम आओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ। अंत में मँगरू पागल हो गया,वो सिर्फ सुगिया का ही नाम लेता ।अभी मँगरू राँची के पागलख़ाने में भर्ती है। फ़िलहाल उसका इलाज चल रहा है। पर शायद वो जीना नहीं चाहता अभी भी वो बस एक ही वाक्य कहता और रोता है कि सुगिया मैं आ रहा हूँ फिर चीखता और चिल्लाता है । मँगरू के इलाज़ में विज्ञान भी फेल हो गया।उसके झाड़ – फूक भी हुए।लेकिन वो ठीक नहीं हुआ। आज के जमाने में ऐसी घटनाएँ हो रहीं हैं जिससे युवा पिढ़ी टूट सकता है।
मैं पूरे भारत वर्ष के लोगों एवं महानुभवों ,मेरे माता – पिता और तमाम अभिभावकों से पूछना चाहता हूँ कि जब आप जवान थे,आप जब प्रेम संबंध में थे,तब आपको अपना प्रेम राधा – कृष्ण जैसी लगती थी किन्तु वर्तमान युवा पीढ़ी के प्रेम में आपको वासना दिखाई पड़ता है। इस सृष्टि के निर्माण का आधार ही प्रेम है।तो क्या हक़ बनता है किसी को झूठे शान के लिए सुगिया और मँगरू जैसे प्रेमियों की जिंदगी बर्बाद करने का। मेरी कहानी में तो लड़की खुदखुशी कर ली किंतु भारत में न जाने कितने ऐसे प्रेमी युगल को जिंदा जला दिया जाता है।उन्हें जान से मार दिया जाता है।घरवाले उसका बहिष्कार कर देते हैं। इसमें सबसे ज्यादा गुनहगार गाँव के पंच,खाप, और चौधरी लोग होते हैं जो झूठे शान में पगड़ी पहन कर इतराते हैं। शायद वो डॉ०अम्बेडकर जी के संविधान से भी खुद को उपर मानते हैं।कई मामलों में तो संवैधानिक लोग जैसे पुलिस ,न्यायालय भी गुनहगारों का ही साथ देते हैं।
विश्व की सबसे बड़ी युवा पीढ़ी भारत में है।अगर ये हाल रहा तो देश के भविष्य की कल्पना आप कैसे कर सकते हैं?झूठी परम्पराओं के लिए सच्चे प्रेमियों की बलि देना, क्या ये सही है ?जैसे पानी एक जगह ठहरा रहे तो गंदगी आ जाएगी,उसमें बदबू उत्पन्न हो जाएगा।वैसे ही परम्पराएँ भी बदलने चाहिए वरना लोग विद्रोह कर देंगें।सरकार कुछ करती नहीं ताकि उनका वोट बैंक कम न हो जाए।जवान लड़की जो प्रेम संबंध में रहती है उसको मार कर घरवाले कहते हैं कि मेरी इज़्ज़त का सवाल है।लेकिन जब कन्या भ्रूण हत्या करते हैं तब हम अपनी मर्दानगी और इज़्ज़त क्यों भूल जाते हैं?जब लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी करती है तब ही हमें अपनी झुठी इज़्ज़त का ख़्याल आता है। बेटा अगर दूसरी घर की बेटी को लेकर आए तो हम माफ कर देते हैं।एक ही समाज में एक समान न्याय क्यों नहीं?वहीं पंजाब- हरियाणा में पूरे भारत से ही नहीं अपितु पूरे विश्व से लिंगानुपात कम है इसकी पूर्ति के लिए झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से लड़कियों को खरीद कर मुफ्त में शादी कर ले जाते हैं तब इनको जाती धर्म और मज़हब नहीं याद आता है।ये एक तरह का समाज का दोगलापन है,और कुछ नहीं। कहीं न कहीं दहेज प्रथा का कारण जाती में विवाह ही है।जिस दिन अंतर्जातीय विवाह शुरू हो गया मानों दहेजप्रथा खत्म हो जाएगी इसलिए प्रेमी युगल का सम्मान करना चाहिए। भारत में इतना प्रेमियों के विरोधियों के बावजूद भी इस देश में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो प्रेम करने वालों की रक्षा करते हैं जिनका नाम है – ‘लव कमांडों’ जिसके संस्थापक संजय सचदेव हैं जिन्होंने हजारों युगलों को होने वाली दुर्घटना से बचाया है।
जब एक 18 साल का लड़का या लड़की अपने भारत देश का प्रधानमंत्री चुन सकता है तो अपना जीवनसाथी क्यों नहीं चुन सकता।हमारे भारत के सर्वोच्चय न्यायालय ने साफ – साफ कहा है कि जाति प्रथा हमारे भारत देश को पूरी तरह से बाँट रही है।इस देश को नेता और सरकारें नहीं जोड़ सकती हैं सिर्फ ‘इंटरकास्ट मैरिज’ अर्थात प्रेम विवाह ही जोड़ सकता है। ये कथन है हमारे सुप्रीम कोर्ट का फिर भी अगर आप डरते हैं तो इसका कारण हैं,
प्यार को छुपाना और इसी के कारण ही घरवाले,पड़ोस,गाँव ,खाप, पंचायत झूठा समाज आदि आप पर जुल्म करते हैं।
आप अगर प्रेम करते हैं तो गर्व से कहो कि आप प्रेमी हो।इस देश की गलत परंपरओं के खिलाफ़ हो।
प्यार करना पाप नहीं है
विरोधी हमारा बाप नहीं है

प्रेम का हो विकास
प्रेमियों को प्रेमिकाओं में हो विश्वास
ऐसे थाम लो एक दूसरे का हाथ
चाहे विरोधियों का हो सर्वनाश

गर्व से कहो हम प्रेमी है

क्योकिं पुराना गीत है-
खुलम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों
इस दुनिया से नहीं डरेंगे हम दोनों
प्रेम जिसके आधार से दुनिया चल रही हैं।आज वो ही खतरे में है।कुछ ऐसा करना होगा ताकि एक लड़की को अकाल मृत्यु न हो और न उसे मोबाइल मंगाना पड़े।
प्यार के लिए जान न देना पड़े।

मोहब्बत जिंदाबाद
जय साहित्य
राज वीर शर्मा
संस्थापक-हिंदी विकास मंच

Language: Hindi
1 Like · 357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
umesh mehra
छह दोहे
छह दोहे
Ravi Prakash
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
Gouri tiwari
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
कवि रमेशराज
"काँच"
Dr. Kishan tandon kranti
उदासियाँ  भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
उदासियाँ भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
_सुलेखा.
फितरते फतह
फितरते फतह
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
सत्य कुमार प्रेमी
World Earth Day
World Earth Day
Tushar Jagawat
माँ
माँ
Vijay kumar Pandey
2326.पूर्णिका
2326.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*जातक या संसार मा*
*जातक या संसार मा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बाल कविता: चूहा
बाल कविता: चूहा
Rajesh Kumar Arjun
24, *ईक्सवी- सदी*
24, *ईक्सवी- सदी*
Dr Shweta sood
काग़ज़ पर उतार दो
काग़ज़ पर उतार दो
Surinder blackpen
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
सितम ढाने का, हिसाब किया था हमने,
सितम ढाने का, हिसाब किया था हमने,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आपका दु:ख किसी की
आपका दु:ख किसी की
Aarti sirsat
मैंने नींदों से
मैंने नींदों से
Dr fauzia Naseem shad
सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक
लक्ष्मी सिंह
Expectations
Expectations
पूर्वार्थ
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
आनंद प्रवीण
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
नव लेखिका
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को
बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Happy Holi
Happy Holi
अनिल अहिरवार"अबीर"
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
#आज_की_विनती
#आज_की_विनती
*Author प्रणय प्रभात*
बिल्ली
बिल्ली
SHAMA PARVEEN
Loading...