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21 Apr 2020 · 1 min read

अधूरे ख्बाव

मैं राजे-दिल सब-कुछ’ बताना चाहता हूँ|
मैं उस पर अपनी ‘जाँ’ लुटाना चाहता हूँ|
अभी तक जो अधूरे ख्बाव पूरे नही हुए,
मिलकर सभी वो अब जुटाना चाहता हूँ|
–धीरेन्द्र वर्मा

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 286 Views
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