Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2016 · 3 min read

अधूरी सी कहानी तेरी मेरी -भाग 1

दोस्तों एक प्रेम कहानी लिखने का प्रयास कर रहा हूँ, आज आप सभी के सामने प्रस्तुत है इस कहानी का पहला भाग।

“अधूरी सी कहानी तेरी मेरी” भाग -1
******************

मार्च २००७ की बात है , सोहित ने विश्व के जाने माने गैर सरकारी संस्था में नौकरी ज्वाइन की थी | उसको दिए गए क्षेत्र में जाकर वहां पर टीमों को बांटे गए काम का सर्वे करना था और हर शाम को अपनी रिपोर्ट जिला मुख्यालय को देनी थी | पहले ३ दिन तो अपने वरिष्ठ और अनुभवी सहकर्मी के साथ ट्रेनिंग की | तीन दिन पश्चात् जिला मुख्यालय में पुनः साक्षात्कार लिया गया जिसमें सोहित को ट्रेनिंग में प्राप्त जानकारी से अधिकारी संतुष्ट हो गए और चौथे दिन से उसको स्वतंत्र रूप से फील्ड में जाने के लिए उत्तराखंड का सीमान्त क्षेत्र कनकपुर दिया गया |

आज सोहित का पहला दिन था और वो अपने कार्यक्षेत्र की ओर चला जा रहा था | अपने कार्यक्षेत्र में सर्वे के दौरान जब वो वनवासी क्षेत्र प्रेम नगर में सर्वे के लिए पहुँचा तथा टीम नम्बर 9 के सदस्यों तुलसी और पार्वती से मिला | तुलसी का हरदम मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर वो उससे अपनी नजर नहीं हटा पा रहा था | नए कर्मचारी को देखकर तुलसी भी कुछ बोल नहीं रही थी बस मुस्कुरा ही रही थी | सोहित भी तो उसी में खोया था |

किसी तरह सोहित ने अपने सर्वे का पहला सवाल पूछा, ” तुमने कितने घरों को विजिट कर लिया है ?” तुलसी अभी भी मुस्कुरा रही थी | पार्वती ने तुलसी को टोका तो वो बोली, ” सर, अभी ६० घर हम विजिट कर चुके हैं ” इस तरह करीब १० मिनट के सवाल जवाब चलते रहे और फिर कुछ घरों में सोहित भी उन्ही के साथ गया |

तुलसी, एक २१ वर्षीया खुशमिजाज नवयुवती | इकहरा बदन, नजर के चश्मे के पीछे से झांकती हुई बड़ी बड़ी खूबसूरत आँखें | हर बात का मुस्कुराते हुए जवाब देना उसकी आदतों में शुमार था | कंधे पर अपना ड्यूटी बैग लटकाए, एक हाथ में शीट लिए और दूसरे हाथ में पेन सम्हाले हुए बड़ी ही मासूम लग रही थी | उसका सादगीपूर्ण पहनावा उसकी ख़ूबसूरती को और भी बढ़ा रहा था | मुस्कुराने से मोतियों से चमकते दांत बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे | पार्वती को तुलसी चाची कह कर पुकार रही थी |

पहली ही नजर में सोहित, तुलसी से अपना दिल हार बैठा था | वो बार बार उसके जेहन में आ रही थी और उसको गुदगुदा रही रही थी | सोहित बार बार सिर्फ तुलसी के ही बारे में सोच रहा था | किसी तरह उसने अपना दिन का काम पूरा किया और शाम को रिपोर्ट देकर घर लौट आया | लेकिन अभी भी तुलसी की छवि सोहित के मन में विराजमान थी | वो बड़ी बेसब्री से दूसरा दिन होने का इन्तजार कर रहा था |

दूसरे दिन सोहित ने सिर्फ तुलसी से मिलने और कुछ बात करने के उद्देश्य से सबसे पहले तुलसी की ही टीम को विजिट किया क्योकि उसे सुपरवाइजर से पता लगा था कि ये टीम जल्द ही काम ख़त्म करके घर चली जाती है और हमेशा सबसे अच्छा काम करती है | जैसे ही सोहित टीम के पास पहुंचा तुलसी की मधुर मुस्कान ने उसका स्वागत किया | और विजिट प्लान में न होते हुए भी सोहित ने उनकी टीम के साथ कुछ समय बिताया और फिर आगे का काम ख़त्म करने के लिए चल पड़ा |

इस तरह सर्वे के बाकी के दो दिन सोहित ने सिर्फ तुलसी को कुछ पल निहारने के लिए ही तुलसी की टीम को दो दो बार विजिट किया जबकि दोनों ही दिन इस टीम का काम विजिट प्लान में नहीं था | और फिर एक महीने का लम्बा इन्तजार आ गया क्योंकि तुलसी से मुलाक़ात सिर्फ सर्वे के दौरान ही हो सकती थी बाकी समय तुलसी अपनी नौकरी करती थी | सर्वे के लिए जिला स्तर से अल्पावधि के लिए सर्वे हेतु बाल विकास विभाग से इनको बुलाया जाता था | सोहित ने तुलसी से उसका फ़ोन नंबर भी नहीं लिया था। | ………………… ……………….
क्रमश :

सन्दीप कुमार
१४.०७.२०१६

Language: Hindi
577 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रिश्ते बनाना आसान है
रिश्ते बनाना आसान है
shabina. Naaz
जल खारा सागर का
जल खारा सागर का
Dr Nisha nandini Bhartiya
★उसकी यादों का साया★
★उसकी यादों का साया★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
बुंदेली दोहा -गुनताडौ
बुंदेली दोहा -गुनताडौ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दो हज़ार का नोट
दो हज़ार का नोट
Dr Archana Gupta
*कृष्ण की दीवानी*
*कृष्ण की दीवानी*
Shashi kala vyas
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
VEDANTA PATEL
🇭🇺 झाँसी की वीरांगना
🇭🇺 झाँसी की वीरांगना
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कुछ नही मिलता आसानी से,
कुछ नही मिलता आसानी से,
manjula chauhan
किसी को फर्क भी नही पड़ता
किसी को फर्क भी नही पड़ता
पूर्वार्थ
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
Siksha ke vikas ke satat prayash me khud ka yogdan de ,
Siksha ke vikas ke satat prayash me khud ka yogdan de ,
Sakshi Tripathi
Don't bask in your success
Don't bask in your success
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जब सावन का मौसम आता
जब सावन का मौसम आता
लक्ष्मी सिंह
कुछ लोग अच्छे होते है,
कुछ लोग अच्छे होते है,
Umender kumar
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सुहासिनी की शादी
सुहासिनी की शादी
विजय कुमार अग्रवाल
तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
Ajay Mishra
💐प्रेम कौतुक-270💐
💐प्रेम कौतुक-270💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरी नज़्म, शायरी,  ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
मेरी नज़्म, शायरी, ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
अनंत पांडेय "INϕ9YT"
"टेंशन को टा-टा"
Dr. Kishan tandon kranti
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
Vindhya Prakash Mishra
भाग्य पर अपने
भाग्य पर अपने
Dr fauzia Naseem shad
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
SHAMA PARVEEN
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
Kanchan Alok Malu
2705.*पूर्णिका*
2705.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
Ravi Prakash
#दोहे
#दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
""मेरे गुरु की ही कृपा है कि_
Rajesh vyas
बेगुनाही की सज़ा
बेगुनाही की सज़ा
Shekhar Chandra Mitra
Loading...