अधिकारी का अधिकार
नही देखता जो अधिकारी
अपने पद की गरिमा को ।
करता है अपराध रिश्वती
खो देता निज महिमा को ।
पीकर के अपराधी प्याला हो जाता मदहोश ।
सच्चा निर्णय कभी नही दे सकता करता दोष ।
बिगड़ गयी दो प्रथा हिन्द में
एक दहेज लेना एक रिश्वत ।
जिसके कारण लुप्त हो रहा
धर्म देव मणि साश्वत ।
यदि ये दो अपराध सर्प के
भीषण फन कुचला जाये ।
तो संदेह नही भारत फिर
कंचन पंछी बन जाये ।