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29 Aug 2016 · 1 min read

सोच-सोच घबराता हूँ

ये सोच-सोच घबराता हूँ……..

पिता नही मेरी ताकत है वो,छाया में उनकी रहता हु
महफूज हु उनके संरक्षण में निडर होकर के जीता हूँ
छोड़ जायेंगे एक दिन अकेला,ख्याल से सहम जाता हूँ
टल न सकेगी ये अनहोनी, ये सोच-सोच घबराता हूँ……..

करुणा सागर, अथाह प्रेम, साश्वत देवी देख पाता हूँ
सर्वस्व लूटा दू चरणो में,न क़र्ज़ उसका चूका पाता हूँ
आँचल का साया बना रहे आजीवन छाया चाहता हूँ
किस क्षण रह जाऊँ बिलखता,ये सोच-सोच घबराता हूँ……..

प्राणप्रिय, जीवन संगनी, सुख दुःख की भागिनी
प्रेरणा की स्रोत है वो, मेरे जीवन की पतवार बनी
तुझ संग मिल कर जीवन रथ पार लगा जाता हु
टूट जायेगा बंधन जन्मो का,ये सोच-सोच घबराता हूँ……..

नवपल्लव मेरे जिगर के टुकड़े देख देख मुस्काता हूँ
किलकारियों से जिनकी घर आँगन को चहकाता हूँ
बन माली बगिया को खून पसीने से सींच सजाता हूँ
बिन माली के क्या होगा, ये सोच-सोच घबराता हूँ……..

__________डी. के. निवातियाँ ________

Language: Hindi
270 Views
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