Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2017 · 1 min read

सकारात्मकता

ना उम्मीदी के गहरे दरिया से निकालना है बहुत आसान
सकारात्मकता का तेल डालकर विचार करो और प्रकाशवान
ये सारी परिस्थितिया तुम्हारी सोच का ही तो है परिणाम
सकारात्मक विचार हों मन में फिर देखो क्या होता आंजाम

क्या कर सकते हो या क्या नहीं सोच के ही सारे बंधन हैं
वरना कोई सीमा है ही नहीं पास तुम्हारे इतने संसाधन हैं
सोच का यदि दायरा बढ़ाओ डर की बेड़ियाँ मन से हटाओ
सब कुछ संभव है इस जीवन में यदि दृढ निश्चय से भर जाओ

जितनी भी परिधि की हैं बेड़ियाँ स्वयं हमने ही तो बांधी हैं
सफलता उसी को मिली सदा जिसने सारी सीमायेँ लांघी है
फिर से नए कैनवास पर स्वयं से बड़े तुम लक्ष्य बनाओ
यदि प्रसन्न नहीं इस जीवन से तो फिर नए सपने सजाओ

हर दिवस एक उत्सव है जो जीवन पर्व मनाओ नित दिन
हर मुश्किल हल हो जाएगी यदि जियो यदि तुम चिंताविहीन
जीवन मैं सदेव प्रसन्न रहने का सबसे सरल है एक उपाय
अपने घर के साथ साथ औरों के जग मैं भी खुशियाँ बिखरायें।

Language: Hindi
464 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
Swami Ganganiya
हृदय में धड़कन सा बस जाये मित्र वही है
हृदय में धड़कन सा बस जाये मित्र वही है
Er. Sanjay Shrivastava
💐प्रेम कौतुक-409💐
💐प्रेम कौतुक-409💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इंसान
इंसान
Vandna thakur
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर  टूटा है
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
कृष्णकांत गुर्जर
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
पूर्वार्थ
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
Vishal babu (vishu)
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अंबेडकरवादी विचारधारा की संवाहक हैं श्याम निर्मोही जी की कविताएं - रेत पर कश्तियां (काव्य संग्रह)
अंबेडकरवादी विचारधारा की संवाहक हैं श्याम निर्मोही जी की कविताएं - रेत पर कश्तियां (काव्य संग्रह)
आर एस आघात
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
Keshav kishor Kumar
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अनुभव एक ताबीज है
अनुभव एक ताबीज है
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
शीर्षक - संगीत
शीर्षक - संगीत
Neeraj Agarwal
सुनो सखी !
सुनो सखी !
Manju sagar
ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए,
ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए,
*Author प्रणय प्रभात*
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
2493.पूर्णिका
2493.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जिस्म से रूह को लेने,
जिस्म से रूह को लेने,
Pramila sultan
Hum tumhari giraft se khud ko azad kaise kar le,
Hum tumhari giraft se khud ko azad kaise kar le,
Sakshi Tripathi
खेल और राजनीती
खेल और राजनीती
'अशांत' शेखर
प्रभो वरदान दो हमको, हमेशा स्वस्थ रहने का (मुक्तक)
प्रभो वरदान दो हमको, हमेशा स्वस्थ रहने का (मुक्तक)
Ravi Prakash
होली
होली
Dr. Kishan Karigar
।। गिरकर उठे ।।
।। गिरकर उठे ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
कवि रमेशराज
उतना ही उठ जाता है
उतना ही उठ जाता है
Dr fauzia Naseem shad
बात मेरी मान लो - कविता
बात मेरी मान लो - कविता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
लक्ष्मी सिंह
👨‍🎓मेरा खाली मटका माइंड
👨‍🎓मेरा खाली मटका माइंड
Ms.Ankit Halke jha
.......
.......
शेखर सिंह
Loading...