यूँ हटाये हैं घिरे दिल के अँधेरे हमने
यूँ हटाये हैं घिरे दिल के अँधेरे हमने
दीप अश्कों से भरे और जलाये हमने
मुस्कुराते रहे भीगी हुई पलकों में भी
जख्म लेकिन नहीं इस दिल के दिखाये हमने
हम सितम सहते रहे सारे तुम्हारे हँस कर
पर कभी की न शिकायत कोई तुमसे हमने
बनके परछाई रहे ऐसी तुम्हारी हम तो
दर्द भी तेरे इन आंखों से बहाये हमने
बोलना झूठ नहीं आता था पहले हमको
सीखे तुमसे ही बनाने भी बहाने हमने
बात दिल में दबी रहती तभी बस अच्छा था
‘अर्चना’ कह के तो अफ़साने बनाये हमने
डॉ अर्चना गुप्ता