Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2016 · 1 min read

मुक्ति

कर्म योग्यता और संस्कार
सबसे ऊपर मेरा प्यार
निस्वार्थ प्रीत जो मन लाये
मैं मेरा उसका मिट जाये
चाहे कोई विकट हो
मेरा भक्त मुझे सुन पाए
इसीलिए विशिष्ट कहलाये
हर स्थिति में सैम रहकर
मेरे निकट सदा रह पाए
पूर्ण समर्पित जो भी रहता
मेरे ह्रदय वो बस जाये
श्रेष्ठ मानव तन पाकर ही
मेरी इच्छा से मेरी ओर आये
मेरी शरण जो रह पाए
महान अस्तित्व वो बन जाये
साकार रूप का प्यार आशीष
उचित समय पर समय बताये
जो नियमो पर चले चलाये
जन्म -मरण से मुक्ति पाए

Language: Hindi
12 Likes · 343 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all
You may also like:
नहीं टूटे कभी जो मुश्किलों से
नहीं टूटे कभी जो मुश्किलों से
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
श्री राम का जीवन– गीत
श्री राम का जीवन– गीत
Abhishek Soni
नफरतों को भी
नफरतों को भी
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Harish Chandra Pande
*खाऍं मेवा से भरे, प्रतिदिन भर-भर थाल (कुंडलिया)*
*खाऍं मेवा से भरे, प्रतिदिन भर-भर थाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
आज जो कल ना रहेगा
आज जो कल ना रहेगा
Ramswaroop Dinkar
हिन्दी दोहा-पत्नी
हिन्दी दोहा-पत्नी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अगन में तपा करके कुंदन बनाया,
अगन में तपा करके कुंदन बनाया,
Satish Srijan
"अच्छे साहित्यकार"
Dr. Kishan tandon kranti
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
बेटियां
बेटियां
Dr Parveen Thakur
शुभ होली
शुभ होली
Dr Archana Gupta
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
मेरे शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास से -
मेरे शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास से -
kaustubh Anand chandola
Kabhi kabhi
Kabhi kabhi
Vandana maurya
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
Sukoon
2382.पूर्णिका
2382.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
किसान और जवान
किसान और जवान
Sandeep Kumar
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
ruby kumari
उदास हो गयी धूप ......
उदास हो गयी धूप ......
sushil sarna
आज का यथार्थ~
आज का यथार्थ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
दौर ऐसा हैं
दौर ऐसा हैं
SHAMA PARVEEN
* धन्य अयोध्याधाम है *
* धन्य अयोध्याधाम है *
surenderpal vaidya
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
होली है!
होली है!
Dr. Shailendra Kumar Gupta
" हम तो हारे बैठे हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मम्मास बेबी
मम्मास बेबी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चूड़ियां
चूड़ियां
Madhavi Srivastava
Loading...