Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2017 · 2 min read

मातृ नमन जननी नमन ।

मातृ नमन -जननी नमन

माँ बनने का अहसास अलग होता है ,
नव जीवन का अहसास अलग होता है ,
उदर मे पल रही संतान का सुख अलग होता है ।
आंचल की धार का अंदाज अलग होता है ।

माँ की धड़कन शिशु का अनहद नाद होती है ,
शिशु की हलचल माँ का प्राण होती है ।
जीवन का संचार, माँ की ममता का विस्तार यहीं होता है
माँ के आंचल मे जब दुग्ध सृजित होता है ।

शिशु का रुदन हो या कलरव ,
माँ को ये अहसास होता है ।
शिशु तो माँ के साये मे बड़ा होता है ,
शिशु की हर कला से वाकिफ माँ ,
लाड़ किया करती है , शिशु के असुरक्षित होते ही ,
भूखी शेरनी का रूप हुआ करती है ।

माँ के आंचल का विस्तार असीम होता है ।
क्षितिज के उस पार भी , माँ का अहसास होता है

हर रूप, हर रंग, हर ऋचाओ मे ,
हर भाषा, , हर प्रथा, हर धार्मिक मान्यताओं मे ,
हर सृजन, हर कृति और विधाओ मे,
ममता मयी माँ का स्वरूप दिखाई देता है ।

माँ कालजयी , सार्वकालिक , अंतर्यामी हुआ करती है ,
तभी तो उदास बचपन , समस्या ग्रस्त लड़कपन ,
परेशान हैरान बेटा , सबकी समस्याओ का निदान हुआ करती है।

उसके आशीष , उसकी सांत्वना मे
जीवन की हर आशा झलकती है,
माँ के आशा- विश्वास से जीवन सुदृढ़बनता है ।
पुत्र का जीवन सजग ,सुंदर सरल बनता है।

माँ कभी कुमाता नहीं होती
नहीं तो कुंती कर्ण की भी माँ नहीं होती
सामाजिक विषमता , लोकलाज का भय
भले ही आड़े आए पर, माँ तो ममता का स्वरूप हुआ करती है।

माँ तो माँ का ही रूप हुआ करती है ।

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

Language: Hindi
3 Likes · 542 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
अश्रु से भरी आंँखें
अश्रु से भरी आंँखें
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
आरजू
आरजू
Kanchan Khanna
सत्य होता सामने
सत्य होता सामने
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
खामोशियां मेरी आवाज है,
खामोशियां मेरी आवाज है,
Stuti tiwari
होली के कुण्डलिया
होली के कुण्डलिया
Vijay kumar Pandey
अपना भी नहीं बनाया उसने और
अपना भी नहीं बनाया उसने और
कवि दीपक बवेजा
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
Rajesh
आप जब खुद को
आप जब खुद को
Dr fauzia Naseem shad
जो जी में आए कहें, बोलें बोल कुबोल।
जो जी में आए कहें, बोलें बोल कुबोल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार (दोहा गीतिका)*
*कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार (दोहा गीतिका)*
Ravi Prakash
हम मोहब्बत की निशानियाँ छोड़ जाएंगे
हम मोहब्बत की निशानियाँ छोड़ जाएंगे
Dr Tabassum Jahan
जेठ कि भरी दोपहरी
जेठ कि भरी दोपहरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बचपन
बचपन
नूरफातिमा खातून नूरी
3177.*पूर्णिका*
3177.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आहुति  चुनाव यज्ञ में,  आओ आएं डाल
आहुति चुनाव यज्ञ में, आओ आएं डाल
Dr Archana Gupta
# डॉ अरुण कुमार शास्त्री
# डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
Buddha Prakash
हमारी आजादी हमारा गणतन्त्र : ताल-बेताल / MUSAFIR BAITHA
हमारी आजादी हमारा गणतन्त्र : ताल-बेताल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
परिवर्तन
परिवर्तन
Paras Nath Jha
मुझे सोते हुए जगते हुए
मुझे सोते हुए जगते हुए
*Author प्रणय प्रभात*
" फ़साने हमारे "
Aarti sirsat
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
Kumar lalit
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तरुण
तरुण
Pt. Brajesh Kumar Nayak
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष
Madhavi Srivastava
"दलित"
Dr. Kishan tandon kranti
💐अज्ञात के प्रति-102💐
💐अज्ञात के प्रति-102💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
असफलता का घोर अन्धकार,
असफलता का घोर अन्धकार,
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
विश्वगुरु
विश्वगुरु
Shekhar Chandra Mitra
Loading...