Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2017 · 1 min read

दो आँखे

पलके फिर उठती पलके फिर झुकती है,
तुम्हारी आँखे शर्रात से कब रूकती है,
कभी मुझको समझती कभी मुझको डराती,
तुम्हारी ये दो आंखे क्यों टिक नही पाती,

कभी ये ढूंढती है मुझमे खुद को,
कभी ये तनहा खुद को समझ नही पाती,
कभी छुपे राज है कहती कभी दिल का हाल बताती,
मेरी आँखों में देखकर खुद कितना इतराती,

पलके फिर उठती पलके फिर झुकती है,
तुम्हारी आँखे शर्रात से कब रूकती है,
वो खामोश भी रहती शोर भी मचाती,
तुम्हारी आँखे दिल का सब हाल कह जाती,

कभी मेरी परछाई कभी मेरी तन्हाई बन जाती,
तुम्हारी ये दो आंखे मुझको कितना सताती,
कभी लहरो सी लहराती कभी मोती सी चमक जाती,
मेरी यादो में आकर क्यों इतना इतराती,

Language: Hindi
385 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं लिखूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
Atul "Krishn"
नदियां
नदियां
manjula chauhan
जीवन है मेरा
जीवन है मेरा
Dr fauzia Naseem shad
मजदूरों के साथ
मजदूरों के साथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"ऐ दिल"
Dr. Kishan tandon kranti
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
Shashi kala vyas
हमारा प्रेम
हमारा प्रेम
अंजनीत निज्जर
■ नया शोध...
■ नया शोध...
*Author प्रणय प्रभात*
"बचपन"
Tanveer Chouhan
खुद्दार
खुद्दार
अखिलेश 'अखिल'
💐प्रेम कौतुक-497💐
💐प्रेम कौतुक-497💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"अवध में राम आये हैं"
Ekta chitrangini
तुममें और मुझमें बस एक समानता है,
तुममें और मुझमें बस एक समानता है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दुसेरें को इज्जत देना हार मानव का कर्तंव्य है।  ...‌राठौड श्
दुसेरें को इज्जत देना हार मानव का कर्तंव्य है। ...‌राठौड श्
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
Phoolo ki wo shatir  kaliya
Phoolo ki wo shatir kaliya
Sakshi Tripathi
ऑन लाइन पेमेंट
ऑन लाइन पेमेंट
Satish Srijan
कृष्ण वंदना
कृष्ण वंदना
लक्ष्मी सिंह
2780. *पूर्णिका*
2780. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
चाँद
चाँद
ओंकार मिश्र
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सुनो - दीपक नीलपदम्
सुनो - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बेख़बर
बेख़बर
Shyam Sundar Subramanian
शर्द एहसासों को एक सहारा मिल गया
शर्द एहसासों को एक सहारा मिल गया
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
***दिल बहलाने  लाया हूँ***
***दिल बहलाने लाया हूँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक मुट्ठी राख
एक मुट्ठी राख
Shekhar Chandra Mitra
Loading...