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10 Oct 2017 · 1 min read

जीवन एक व्यापार हो गया

जीवन एक व्यापार हो गया

जीवन एक व्यापार हो गया ,
कृषक मौन , घर –द्वार बह गया ।
दाने –दाने को तरसे भाई ,
कातर नयनों से ताके काकी ।
शिशु रोवें , दुलरावे काकी,
काकी का संसार बह गया ।
जल जीवन मे , माटी का घर बार बह गया ।
जीवन एक व्यापार हो गया ।
वोट बैंक का राज हो गया ,
दाने –दाने तरसे दाता ,
नेताओ की हुई पौ –बारह ,
घोषणाओ का राज हो गया ।
जीवन एक व्यापार हो गया ।

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 400 Views
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